अमित बघेल केस — शुरुआत से गिरफ्तारी तक पूरी टाइमलाइन…

देवेंद्र नगर थाने में हाई ड्रामा: सरेंडर से पहले ही पुलिस ने अमित बघेल को पकड़ा**

📌 1. विवादित बयान (अक्टूबर 2025)

  • रायपुर में छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति टूटने की घटना के बाद अमित बघेल ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम/वीडियो में भड़काऊ व धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बयान दिया।
  • बयान में सिंधी समाज, झूलेलाल आराध्य, अग्रवाल समाज तथा अन्य समुदायों का उल्लेख था — जिससे कई जिलों और राज्यों में विरोध शुरू हुआ।

📌 2. FIR की शुरुआत

  • रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ के कई थानों में FIR दर्ज हुई।
  • महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित कुल 12 राज्यों में भी मामलों की शिकायतें और FIR दर्ज।

📌 3. पुलिस की कार्रवाई तेज (अक्टूबर–नवंबर 2025)

  • रायपुर पुलिस ने उन्हें भगोड़ा (Absconder) घोषित किया।
  • 5,000 रुपये का इनाम भी जारी किया गया।
  • पुलिस ने दुर्ग, रायपुर और आसपास जिलों में लगातार दबिश दी।
  • कई जगह उनके समर्थकों ने विरोध किया, कई जगह शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए।

📌 4. कोर्ट में अपील

  • अमित बघेल ने अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।
  • कोर्ट ने कहा— बयान बेहद आपत्तिजनक है FIR सही है जमानत नहीं दी जा सकती
  • याचिका खारिज होने के बाद पुलिस कार्रवाई और तेज हुई।

📌 5. 26 दिन तक फरार

  • कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद वे लगभग 26 दिन तक फरार रहे।
  • सोशल मीडिया और वीडियो बयान आते रहे, लेकिन लोकेशन पुलिस से छिपाई जाती रही।

📌 6. 5 दिसंबर 2025 — बड़ा मोड़

➡️ सरेंडर करने पहुँचे

  • दोपहर में अमित बघेल अपने समर्थकों के साथ देवेंद्र नगर थाना, रायपुर पहुँचे।
  • मीडिया के सामने उन्होंने नारे लगाए — “इंकलाब जिंदाबाद”
  • समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद थे।

➡️ लेकिन सरेंडर से 10 मिनट पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया

  • आधिकारिक रिकॉर्ड में दिखाया गया कि पुलिस ने मौके पर ही गिरफ्तारी प्रक्रिया पूरी कर ली
  • भीड़ को नियंत्रित करने के लिए थाना और कोर्ट परिसर में भारी पुलिसबल तैनात किया गया।

📌 7. मेडिकल – कोर्ट प्रोडक्शन

  • गिरफ्तारी के बाद पुलिस मेडिकल लेकर कोर्ट पहुँची।
  • मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने रिमांड के लिए आवेदन दिया।

📌 8. सामाजिक प्रतिक्रिया

  • सिंधी, अग्रवाल समेत कई समाजों ने गिरफ्तारी पर संतोष जताया।
  • वहीं कुछ स्थानीय संगठन और उनके समर्थक इसे राजनीतिक कार्रवाई बता रहे हैं।