*क्या सिंधी समाज ने कभी ठहर कर सोचा है —*
*हमारे समाज में करोड़ों की आबादी, लाखों व्यापारी, हजारों संगठन और ट्रस्ट हैं… लेकिन क्या हमारे पास एक भी ऐसा राष्ट्रीय स्तर का “सिंधी चैनल” है जहाँ हम अपनी आवाज़ खुद बुलंद कर सकें ?*
*जब देश के हर समाज — गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल, मरवाड़ी, मुस्लिम, सिख, जैन — अपने-अपने टीवी चैनल, डिजिटल मीडिया और यूट्यूब प्लेटफ़ॉर्म चला रहे हैं, तो सिंधी समाज क्यों पीछे है ?*
*हमने लाखों-करोड़ों रुपये मंदिरों, धर्मशालाओं और आयोजनों में दान दिए हैं — यह सब हमारी श्रद्धा और संस्कृति का प्रतीक है। लेकिन क्या हमने कभी उस दिशा में धन और समर्थन दिया जहाँ हमारी आवाज़, हमारी पहचान और हमारे समाज की छवि की रक्षा हो ?*
कई बार जब कोई हमारे भगवान झूलेलाल या सिंधी समाज के खिलाफ़ अभद्रता करता है, तब हम सोशल मीडिया पर आक्रोश दिखाते हैं। पर सवाल ये है — क्या हमने अपना ऐसा मंच बनाया है जहाँ ऐसे लोगों को बुलाकर उनकी मानसिकता को उजागर किया जाए, उन्हें सच्चाई का आइना दिखाया जाए?
सरकार से भीख माँगकर चैनल नहीं चलता, और न ही सरकार से उम्मीद रखनी चाहिए कि वो सिंधी समाज का मीडिया खड़ा करेगी।
जरूरत है कि समाज खुद आगे आए।
जो लोग मेहनत कर रहे हैं, जो सिंधी चैनल या प्लेटफ़ॉर्म शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं, उनका समर्थन करें — आर्थिक रूप से, तकनीकी रूप से और नैतिक रूप से।
आज समय है कि हम अपनी एकता को आवाज़ दें।
एक ऐसा चैनल जो बोले —
👉 “सिंधी समाज की बात, सिंधी समाज के साथ।”
👉 “हमारा धर्म, हमारी संस्कृति, हमारी पहचान।”
अब वक़्त है दान के साथ दिशा देने का।
अगर समाज ने एकजुट होकर मीडिया की ताक़त को पहचाना, तो आने वाली पीढ़ियाँ गर्व से कहेंगी —
हमने अपनी आवाज़ खोई नहीं, बल्कि अपना मंच बनाया।
*जय झूलेलाल 🙏*
*— विकास रोहरा, रोशनी न्यूज़, बिलासपुर*